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RAJNI SHARMA

Classics

4  

RAJNI SHARMA

Classics

राम -केवट मिलन

राम -केवट मिलन

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राम लखन सीता संग गए गंगा तीरे,

केवट देख नाथ नैनन में अश्रू भर लिए।


बरसों का प्रतीक्षा से हृदय में व्याकुलता छाई,

सुध- बुध सब खोकर केवट से गले मिले रघुराई ।।


खग विहग मृग भी मिलन में करें कलरव गान,

राम-केवट मिलन है प्रकृति उत्सव का उत्थान।।


हे प्रभु ! तुम्हारे दर्शन से हुआ मैं कृतार्थ ,

रघुवीर को पहुँचाना नदिया के उस पार ।।


मंद- मंद मुस्कान भरकर अँखियों से निहारें ,    

रामचन्द्रजी के काज आए ऐसे भाग्य हमारे ।।


नौका भी प्रभु पग के स्पर्श से जाए बलिहारी,    

लहर-लहर में नवतरित तरंगें बैठ हैं पतवारी ।।


श्री चरणों की धूलि से पवित्र हुई नैय्या,

हे ! नाथ मेरे , तुम हो सबके  खिवैय्या।।


प्रभु दर्शन से हुआ परम अनूभूति का एहसास,

प्रभुत्व अद्भुत छवि केवट करे सभी से गुणगान।


जगत प्रभु जन-जन की भवसागर के खेवनहार,                                    

केवट भी अमर हो कहलाए प्रभु का खेवनहार।।


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