राम -केवट मिलन
राम -केवट मिलन
राम लखन सीता संग गए गंगा तीरे,
केवट देख नाथ नैनन में अश्रू भर लिए।
बरसों का प्रतीक्षा से हृदय में व्याकुलता छाई,
सुध- बुध सब खोकर केवट से गले मिले रघुराई ।।
खग विहग मृग भी मिलन में करें कलरव गान,
राम-केवट मिलन है प्रकृति उत्सव का उत्थान।।
हे प्रभु ! तुम्हारे दर्शन से हुआ मैं कृतार्थ ,
रघुवीर को पहुँचाना नदिया के उस पार ।।
मंद- मंद मुस्कान भरकर अँखियों से निहारें ,
रामचन्द्रजी के काज आए ऐसे भाग्य हमारे ।।
नौका भी प्रभु पग के स्पर्श से जाए बलिहारी,
लहर-लहर में नवतरित तरंगें बैठ हैं पतवारी ।।
श्री चरणों की धूलि से पवित्र हुई नैय्या,
हे ! नाथ मेरे , तुम हो सबके खिवैय्या।।
प्रभु दर्शन से हुआ परम अनूभूति का एहसास,
प्रभुत्व अद्भुत छवि केवट करे सभी से गुणगान।
जगत प्रभु जन-जन की भवसागर के खेवनहार,
केवट भी अमर हो कहलाए प्रभु का खेवनहार।।