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Kanchan Prabha

Classics Inspirational

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Kanchan Prabha

Classics Inspirational

लम्हे जिन्दगी के

लम्हे जिन्दगी के

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दरकते हृदय की पथरीली राहें ये

गमों की गोद में चित्कारती आहें ये

बोझिल हुई सांसों की धुँधली तस्वीर है।

हाँ ये बंधी हुई कोई जागीर है।


पीले-पीले सूरज के रंगों से धूली सी

प्यासी-प्यासी धरा के वर्षा में घुली सी

दरख्त के नीचे सोया कोई राहगीर है।

हाँ ये बंधी हुई कोई जागीर है।


कितने चट्टानों के बीच टकराता ये मन 

किसी की विरह वेदना में डूबा ये तन 

मचलती ख्वहिशों की टूटी तकदीर है।

हाँ ये बंधी हुई कोई जागीर है।


मुड़झायी साँझ के दीवा की लौ धुँधली

किसी के अश्क बन मोम सी रो-रो जली

हथेली पर उभरती मिटती कोई लकीर है।

हाँ ये बंधी हुई कोई जागीर है।


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