एक कथा: माँ सीता (राम-राज्य)
एक कथा: माँ सीता (राम-राज्य)
मिलन हो गया सिय राम का,
पुनः अवध लौट आए थे,
राम का राज्याभिषेक हो गया,
अवध में सुख के दिन फिर आए थे,
राम राज्य में सबके लिए,
न्याय की एक परिभाषा थी,
आमिर गरीब का भेद नहीं था,
जीवन में प्रफुल्लित आशा थी,
जीवन सुखमय बीत रहा था,
खुशियां अवध मनाता था,
पर काल चक्र आगोश में अपने,
नया अध्याय रचाता था,
राज्य में एक नयी कहानी,
सिय राम वियोग की लिखी गयी,
एक धोबी के घर में जब,
एक स्त्री अपमानित की गयी,
न्याय मांगने राम के दर पर,
धोबिन स्वयं ही आयी थी,
राम से उसने अपने लिए,
न्याय की गुहार लगायी थी,
क्रोधित ही गए राम सुना जब,
अवध में नारी का अपमान हुआ,
कारण जानने हेतु राम ने धोबी को बुलवाया,
स्पष्ट से शब्दों में धोबी ने कारण बतलाया,
प्रभु ये मेरी पत्नी है जो अपना,
पतिव्रत धर्म गवां कर आयी है,
अपना सकता नहीं इसे अब मैं,
ये किसी अन्य जगह रात बिताकर आयी है,
हाथ जोड़कर बोला धोबी,
प्रभु मैं इतना महान नहीं,
आपने भले पुनः अपनाया सिय को,
पर मैं कर सकता ऐसा काम नहीं,
सुन धोबी का प्रत्युत्तर राम का,
हृदय डोलता धरा कांपती,
सोच ये कैसी प्रजा की है,
जो अग्नि परीक्षा भी नहीं मानती।