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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Classics Inspirational

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Classics Inspirational

महिलाएं

महिलाएं

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महिलाएं होती है बड़ी ही जीवटवाली,

स्वश्रम से सींच, सृजती ये खुशहाली।


हर काम में परफेक्ट घर की हैं माली,

बिन महिला घर होता घोसला खाली।


सुबह से शाम अपना सर्वस्व दे जाती,

बदले में बस वे मुस्कान ही तो पातीं।


उनके सम्मान को कभी ठेस न पहुँचाये

काम को हेय समझ उंगली न उठायें।


महिला को कमांकन की भूल न करना,

चाह लें तो दुश्वार कर दें जीना व मरना 


पतिप्राण हेतु यमराज से लड़ है जाती, 

सतीत्व हेतु प्राणोत्सर्ग की है ये बाती।


बन रानी लक्ष्मी बाई वे क्या न कर दें ?

धैर्य की मिसाल रिश्ते मे साहस भर दें।


महिला मां के रूप में सृजन करती है,

वह तो खुद वीर शिवाजी को गढ़ती है 


पूत की रक्षा में बन शेरनी गरजती है, स्नेह,

प्रेम,ममत्व में आंसू पी जाती है।


मां बहन पत्नी रूप में पुरुष संवारती है

हौसले तदवीर से तकदीर बदल देती है 


गर्व हैं इस बात का मैं एक महिला हूं,

अपने को मिटा, निर्माण की कला हूं।


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