STORYMIRROR

LALIT MOHAN DASH

Romance Classics Inspirational

4  

LALIT MOHAN DASH

Romance Classics Inspirational

फागुन आया रे

फागुन आया रे

1 min
270

फागुन की इस मौसम में

तू जो मेरी पास नहीं है

तुम्हें याद करके

मन ही मन उदास हो जाती हूं


कहीं पे लगती नहीं मेरी मन

ये धरती, ये नदियां

ओर ये चांदनी रात

सब मुझको चूवती है

मेरी अकेलीपन पर

मुझपे हंसती है


लेकिन जबसे पेड़ से

नीचे गिरती हुई पत्ते ने

तुम्हारी आने का संदेश दी

तो मेरे मन नाचने लगा


पलाश ,गुलमोहर और

केतकी तुम्हारे स्वागत केलिए

आंगन में मेरी तैयार खड़ी है


सखा कब आयेंगे तुम ?

जल्दी से आ जाओ

हम दोनों मिलके चांदनी रात में

ढेर सारे बातें करेंगे

अपने आपमें खो जाएंगे.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance