( लोक गीत) सांझी मैया-४
( लोक गीत) सांझी मैया-४
सॉंजी बहू है हठीली
हल्दी गॉंठ गठीली,
मॉंगे सोने का बिन्दा
भैया बैठ गढ़ावें।
भाभो मुँह मुस्कावें ,
भैया चिमटियाँ चलावें,
क्यूँ चलाई रे भैया
भाभो की चिमटियाँ।
अन्धों संग जुँएं दिखावती
लँगड़ों संग पानी भरावती,
यूँ उठाई रे बहना
भाभो की चिमटियाँ।
हल्दी गॉंठ गठीली
सॉंजी बहू है हठीली,
माँगे सोने का कंगना
भैया बैठ गढ़ावें।
भाभो मुँह मुस्कावें
भैया चिमटियॉं चलावें,
क्यूं चलाई रे भैया
भाभो की चिमटियाँ।
वो तो पहनकर दिखाए ना
वो तो पहनती मुँह मोड़े
यूँ उठाई रे बहना
भाभो की चिमटियाँ।
हल्दी गॉंठ गठीली
सॉंझी बहू है हठीली,
हल्दी गॉंठ गठीली
सॉंझी बहू है हठीली।