लिखता रहता हू क्यों
लिखता रहता हू क्यों
लिखता रहता हूं क्यों
पहले कुछ दबे एहसास के लिए
कुछ बाते जो आस पास खटकती थी
ज़िन्दगी मे हुए हादसों के लिए
अभी समझ आया किसी को फर्क नहीं पड़ता
आइना देखना किसे भाई अच्छा लगता है
सीख तो कोई लेगा नहीं
अब तो बस उसके लिए लिखता हूं
हर उस इंसान मे उसका अक्स ढूंढ़ता हूं
बेरुखी उसकी बस आज भी है
बस इंसान और भगवान मे अयाम बदल देता हूं।