लेकिन वाला दिन
लेकिन वाला दिन
वह लेकिन वाला दिन था
लेकिन वाला दिन कोई अलग थोड़े ना होता है
वह भी आम दिनों की तरह होता है
उस दिन भी रोज की तरह सूरज उगता है
रात को आसमाँ में चाँद भी आ धमकता है
लेकिन वाले दिन की रात में चाँद भी बेचैन होता है
लेकिन के दिन में बातें भी होती है
लेकिन सब ऊपरी ऊपरी होती है
पानी की सतह पर तैरते तेल की तरह
वह सारी बातें हवा में तैरती रहती है
दिल के अंदर जब्त ही नहीं हो पाती है &nbs
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शायद कहने वाले ने दिल से नही कहा होता है
या फिर सुनने वाले ने ध्यान से नही सुना होता है
लेकिन वाला दिन बहुत भारी लगता है
लेकिन वाले दिन में कहने के लिए कितना कुछ होता है
लेकिन सुनने वाला कोई नहीं होता है
सारी बातें दिल के अंदर दबी रह जाती है
बातें तो बातें होती है, बातों का क्या ?