लड़के भी रोते हैं !
लड़के भी रोते हैं !
कौन कहता है कि हमें कभी रोना नहीं है आता
दिल हमारा भी है भावुक,बस दिखाना नहीं है आता।
जाने क्यों ऐसी धारणा बना रखी है हमारे वास्ते
अरे हम भी दुखी होते हैं पर रोते नहीं तुम्हारे वास्ते।
गर रो दिए हम तो किरदार हमारा डगमगाएगा
जो हम फिसल गए तो तुम्हें कौन संभालेगा ?
बचपन से ही सिखाते हो कभी तुम रोना नहीं
तुम पुरुष हो, धैर्य अपना कभी खोना नहीं।
हाँ, यह सीख मानसिक रूप से हमें मज़बूत बनाती है
पर घुटन होती है हमें भी जब स्थिति अजीब आती है ।
ऐसा नहीं है कि मन हमारा रोने को कभी करता नहीं
पर शर्म महसूस करते हैं,इसलिए लड़का कोई रोता नहीं।
कभी कभी घुटन मानसिक रोगी बनाती हैं हमें
मन की व्यथा न सुनाने पर राह अलग नज़र आती हैं हमें।
न जाने कितने नौजवान पंखों से लटक जाते हैं
जब किसी कारण जीवन की राह में वे अटक जाते हैं।
हर लड़का न मतलबी, न गैरज़िम्मेदार होता है
उनके कन्धों पर बोझ कई बार हद से ज़्यादा होता है।
पहचानो हमारे मन को,प्यार से थोड़ा माथा सहलाओ
क्या दुःख सुख में हम साथ नहीं है,ज़रा यह तो बतलाओ।
कभी कमी रहती होगी हमारे व्यवहार में अनजाने में
क्या गलत क्या सही,गलती होती होगी कभी पहचानने में।
दुविधाओं में फंसी रहती है हर सुबह हर शाम हमारी
कितने ही टुकड़ों में बंटी होती है यह ज़िंदगानी हमारी,
चाहते हैं हम भी बिन बोले पीड़ा हमारी पहचानी जाये
हैं हमारी भी भावनाएं, उनकी भी कदर होनी चाहिए।
लड़के अन्दर से रोते हैं बाहर से रफ टफ दिखते हैं
हर मंज़र में वे खुद को खुद ही संभालते रहते हैं।