Pradeepti Sharma
Tragedy Others
सुलगती है जो भीतर,
सर सर करती पल पल,
पिघलता है एक एक कतरा,
इस कदर एक अनकही पीड़ा में,
मानो जैसे कोई लावा सा बहता हो।
इंदुकला
इन्साफ
एक प्रेम ऐसा ...
वक़्त
जीवंत
सड़क
ठहराव
स्वीकृति
धारा
तुम साथी,मैं ...
हाथों से मारती है तमाचे से गाल पर। हम रख नहीं पाये हैं उसी को सँभाल कर। हाथों से मारती है तमाचे से गाल पर। हम रख नहीं पाये हैं उसी को सँभाल कर।
गाँव बेचकर शहर खरीदा चैन की नींद गंवाई है। गाँव बेचकर शहर खरीदा चैन की नींद गंवाई है।
मैं बेफिक्र-सी चली जा रही थी, अपना हाथ उसके हाथ में थमा । मैं बेफिक्र-सी चली जा रही थी, अपना हाथ उसके हाथ में थमा ।
मैं मध्यम वर्गीय हूँ खजूर के पेड़ पर झूले जा रहा हूँ। मैं मध्यम वर्गीय हूँ खजूर के पेड़ पर झूले जा रहा हूँ।
जिनके बच्चे रहने पर खेल तो चलता है लेकिन राजा रानी के बिना खेल खत्म हो जाता है जिनके बच्चे रहने पर खेल तो चलता है लेकिन राजा रानी के बिना खेल खत्म हो जाता है
वीरानियाँ बड़ी हैं, लगे न ज़िस्त-ज़िस्त सा,लगे न जश्न-जश्न सा। वीरानियाँ बड़ी हैं, लगे न ज़िस्त-ज़िस्त सा,लगे न जश्न-जश्न सा।
कर ने कर को जाने क्यू जकड़ गया ये दिल ख्यालों में न जाने कहाँ खो गया। कर ने कर को जाने क्यू जकड़ गया ये दिल ख्यालों में न जाने कहाँ खो गया।
ख़ुशी की चुगलियां की, दुःख गले आ लगा, और मैं रो बैठा। ख़ुशी की चुगलियां की, दुःख गले आ लगा, और मैं रो बैठा।
टूटने लगे अब तार साँस के, कि जीना मुझे और अभी, टूटने लगे अब तार साँस के, कि जीना मुझे और अभी,
लिखता हूं रोज तेरी यादों को शायरी में वो शायरी पढ़ने के लिए अब तुम नहीं हो लिखता हूं रोज तेरी यादों को शायरी में वो शायरी पढ़ने के लिए अब तुम नहीं हो
सत्ता की लालसा कर रही राजनीति को बदरंग सत्ता भोगे नेतागण जनता में होती हुड़दंग। सत्ता की लालसा कर रही राजनीति को बदरंग सत्ता भोगे नेतागण जनता में होती ...
सोचा ना था ऐसा होगा घर स्कूल बन गये बड़े - बड़े दफ्तरों के भी दरवाजे बंद पड़ गये सोचा ना था ऐसा होगा घर स्कूल बन गये बड़े - बड़े दफ्तरों के भी दरवाज...
यह दिल तेरी यादों में खोया खोया रहता है, पर क्यों तू मुझे ढूंढता नहीं। यह दिल तेरी यादों में खोया खोया रहता है, पर क्यों तू मुझे ढूंढता नहीं।
देश और समाज से गायब हो रही निर्भीकता की परिपाटी। देश और समाज से गायब हो रही निर्भीकता की परिपाटी।
बन जाती है अलौकिक देव प्रतिमा जो होती है सबकी आराध्य बन जाती है अलौकिक देव प्रतिमा जो होती है सबकी आराध्य
हो यूँ यादों से ख़ुशियाँ चुराया ना करो…….., हो यूँ यादों से ख़ुशियाँ चुराया ना करो……..,
मुझे देखना चाहते हो तो अधनंगे कूड़े करकट के ढेर में पले मुझे देखना चाहते हो तो अधनंगे कूड़े करकट के ढेर में पले
किसी की पाव का आहट चुपके चुपके दरवाजा खोल के घुस जाती किसी की पाव का आहट चुपके चुपके दरवाजा खोल के घुस जाती
क्योंकि उग आयी झुर्रियां दिल कहता है अब बस ! क्योंकि उग आयी झुर्रियां दिल कहता है अब बस !
बरसात पर टिकी है तमाम लोगों के सपनों की उड़ान। बरसात पर टिकी है तमाम लोगों के सपनों की उड़ान।