लाॅकडाउन दास्तां
लाॅकडाउन दास्तां
बहुत कर लिया अब तक काम।
अब तो चाहिए थोड़ा आराम।।
पतिदेव लाॅकडाउन में आप खाना बनाओ ना।
मुझको भी अपने हाथों का जादू दिखलाओ ना।।
अपने हाथ का खाना खाते-खाते हो गई हूँ बोर।
अब तो आ जाए जीवन में एक नटखट सी भोर।।
मैं उठूँ और आप चाय का प्याला लेकर आए।
स्वादिष्ट भोजन पका-पकाया काश मिल जाए।।
अरे क्या आज सूरज पश्चिम से निकला है।
किचन में सुबह-सुबह पहुँचे मेरे सैंया है।।
आज पसंद का नाश्ता बनाकर उन्होंने खिलाया।
फिर मैंने किचन साफ करने में उनका हाथ बँटाया।।
जब कपड़े धुलाकर मैंने रखे एक ओर।
देखो तभी आ गया सावन चितचोर।।
पतिदेव बोले चिंता ना करो मैं बाद में फैला दूँगा।
तुम अब आराम करो आज मैं पोछा लगा दूँगा।।
बेटे की जिम्मेदारी की जब आई बारी।
मिलकर निभाई हमने सारी की सारी।।
उन्होंने नहलाया, मैंने खाना खिलाया।
पढ़ाने का जिम्मा मिलकर उठाया।।
पूरा लाॅकडाउन हँसते-खेलते कुछ यूँ गुजर गया।
रिश्ते को प्यार और मजबूती का नयापन दे गया।।

