क्यूं???
क्यूं???
मंजिल अगर सही है..
तो हम इतने भटके क्यूं...
अगर रास्ता हमारा सही था
तो आज हम अकेले है क्यूं ?
हर दफा लगता है की
कोई तो कमी रह जाती कही...
वरना इतनी बार फिसलते क्यूं ?
कुछ कर के दिखाना है
या फिर खुद को पाना है ?
ये हर बार के मसले है क्यूं ?
जिंदगी के फैसले भी
बड़े अजीब है।
वरना हम यूंही हम हारते क्यूं ?
