आसमान अपना अपना...
आसमान अपना अपना...
ये आसमान तो वैसे सबका एक ही है...
लेकिन हर कोई उसमें
अपना हिस्सा लेकर बैठा है।
कोई खुशी कि बारिश में भीग रहा है...
तो कोई गम कि धूप में तप रहा है।
किसको अपना आसमान
साफ दिखाई दे रहा है .
कोई तूफानों से उलझ रहा है।
किसी को आज नई सुबह मिली..
किसी ने अपनी रात चुनी...
कोई बैठे बैठे तारे गिन रहा है..
कोई अपना अलग ही चांद ढूंढ रहा है।
