मेरी बदलती जिंदगी...
मेरी बदलती जिंदगी...
वक्त की सदा, अदा मुझे बदलती रही
मुझ में मेरी ही कमी कही खलती रही
में रहना चाहती थी एक चट्टान की तरह
और में नदी सी कोमल बहती रही
ये जिंदगी का रुख थोड़ा बदला सा लग रहा है
में उसके पतझड़ के पत्ते की तरफ बिखरती रही
लगाव था मुझे मेरे उसूलों के साथ
उसी को में उम्र भर तराशती रही
ये बदले बदले ख्वाब है या कोई आरजू दिल की
में यही सोच में रात भर जगती रही।