तेरे बिना.....
तेरे बिना.....
तुम थे इसलिए जिंदा थे ऐसा अब लगता है
ना जाने क्यों अब सबकुछ वीरान सा लगता है।
कुछ भी पाने की तमन्ना अब ना रही
जो भी था वो लूट गया ऐसा लगता है।
तेरे दहलीज पर बार बार आने की चाहत थी
तुम्हे देखने का भी अब सपना लगता है।
ये कैसे जी रहा हूं मैं मुझे मालूम नही
पर तेरे बिना हर लम्हा एक सजा सा लगता है।
