क्या यही प्यार है?
क्या यही प्यार है?
तुम जताते ज्यादा निभाते कम हो
प्यार के नाम पर मुझे पिलाते ग़म हो
कहते हो इंजॉय करो मेरा तो
यार जीना दुश्वार है
प्यार मुझे कहीं दिखता नहीं
क्या यही प्यार है।
नज़रें चुराने लगे हो
जैसे किसी और से लड़ी हो
ना वो नशा अब तेरी आँखों में रहा
जिसे देख कर लगता था कि
अंगूर की जवानी तुम परी चढ़ी हो
मार पहले जैसी नहीं करती
नैनों में जो सुरमें की धार है
प्यार मुझे कहीं दिखता नहीं
क्या यही प्यार है।
दिल लगाकर दिमाग लगाया
काम भी क्या खूब किया
तुम्हारी किस्मत में ही नहीं जो
रब ने तुम्हें चाँद जैसा महबूब दिया
तुम्हारा इश्क सलीका
मेरे तो समझ से बाहर है
प्यार मुझे कहीं दिखता नहीं
क्या यही प्यार है।।