क्या खूब
क्या खूब
टिमटिमाती रातों में,
सरसराती हवाओं का,
सफर अलमस्त था।
मेरी ख्वाहिशों के चाँद का,
मुझसे मिलना तय था।
जुगनुओं की रोशनी में,
गुफ्तगू का सिलसिला क्या खूब था।
सांसों का सांसों से मिलना तय था ।
खामोशियों में भी,
रूह का परवाज भरपूर था।
धड़कनों का दिल से मिलना तय था।