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AKIB JAVED

Drama Children

3  

AKIB JAVED

Drama Children

कविता- स्कूल

कविता- स्कूल

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कुम्हलाई आँखे 

ताक रही थी,

रास्ता स्कूल का

नाप रही थी।

रंग-बिरंगे चेहरे पे

उदासी बाहर से

झांक रही थी।


फूल खिलने लगे

लालिमा बिखरने लगी

भोर हो गया है,

तिमिर छट चुका है।


खिलखिलाहट से

स्कूल महक गया है,

थोड़ी चुप्पी- थोड़ा शोर

आ गया फिर वो दौर

बाँहो में बाँहे है डाले

धमा चौकड़ी पे है जोर!



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