कुनबा
कुनबा
तन्हाइयों का कुनबा बना कर बैठे थे हम
वो आए मेरी उम्मीदों का काफिला लेकर,
सांसो की बेचैनियां पलपल सता रही थी
वो आए तरसती आंखों का सुकून लेकर,
दिलकश अदाएं हृदय चित्त चंचला सुंदर
बस हैरान से रहे हम उनका प्रेम देखकर,
अंधेरी शब में शबनम की बूंदों की तरह
आए चमकता हुआ एक जुगनू की तरह,
गवां कर स्वयं समर्पित उनके स्नेह पर
हम निखरे बाग में मुरझाई कली की तरह,
कसकती आवाज की आरजू रहती है
उनका अहसास लगता जिंदगी की तरह,
प्रेम में उलझे या नासमझ बने बैठे हैं वो
हमें प्रेम उनसे खूबसूरत जिंदगी की तरह,
चुपके से मेरे जिंदगी में शामिल थे वो
और हम समझते रहे किसी गैर की तरह,
इंतजार हमारा होगा उनको या नहीं
पर हमें इंतजार है उनका श्यामा की तरह,
बन जोगन मैं राधा कृष्ण की बैठी रही
और वो आए किसी बेगाने की तरह,
हमें प्रेम है उनसे परवाने की तरह
वो मुझमें शामिल है तन में प्राण की तरह।