STORYMIRROR

Anil Gupta

Comedy

4  

Anil Gupta

Comedy

कुदरती भुट्टा

कुदरती भुट्टा

2 mins
242

भुट्टा नाम सुनते ही 

हमारे जहन में पीले रंग की 

आकृति उभर आती है

जिसके दाने पंक्ति बद्ध रूप में

हमारा मन मोह लेते हैं 


जब हम गर्मी की छुट्टियों में 

अपने नाना नानी के घर जाते थे

 तब भी वे हमे लुभाते थे 

और आज स्वयं हमारी लड़की

 के बच्चे हमारे यानी 

अपने नाना नानी के घर आते हैं


 तब वे भी भुट्टे को देखकर

मचल जाते हैं जमाना बदल गया

मगर भुट्टे 

आज भी वैसे के वैसे ही हैं 

न रंग बदला न स्वाद 

भुट्टे का मौसम आते ही

हमें कॉलेज के दिन याद 

आ जाते है जब 


अपने पसंद का भुट्टा लेकर उसे

अपनी नजरों के सामने सिकवाते

 और स्वाद बढ़ाने के लिए

 उस पर नींबू भी घिसवाते थे

 कभी कभी यह भी होता कि भुट्टे


 के चक्कर में अगला पीरियड भी

मिस हो जाता था मगर 

भुट्टा तो तब भी हम 

अपनी ही शर्तों पर खाते थे 

शादी के बाद भी भुट्टे का

घर में आना जारी रहा 


एक दिन सुबह 

आफिस के लिए घर से 

निकलते निकलते पत्नी ने कहा

शाम को जल्दी आना 

उत्सुकता वश मेने पूछ लिया 


क्यों, कहने लगी 

आज भुट्टे आए हैं इसलिए

 किस दूँगी में मुस्कुरा दिया 

और जल्दी जल्दी 

अपना काम खत्म कर 

घर पहुंच गया व प्रश्न वाचक रूप

 में पत्नी की और 

हाथ का इशारा किया

 

वह बोली पहले हाथ मुँह धो लो

में अचरज़ में पड़ गया

भला इसमें हाथ मुँह धोने का क्या काम 

मगर कुछ पाने के लिए 

कुछ खोना भी पड़ता है 


इसे ब्रह्म वाक्य मानकर 

हाथ मुँह धोकर में 

कमरे में आ गया 

सोफे पर बैठा ही था कि

पत्नी के आने की पदचाप

सुनाई देने लगी 


उत्तेजना का असर चेहरे पर 

साफ साफ दिखाई देने लगा

दरवाजे को ठेलते हुए पत्नी ने 

टी टेबल पर पानी का ग्लास रखा

और बड़ी कटोरी मेरे हाथ में

पकड़ाते हुए बोली 


यह लो किस 

तो तुमने सुबह इस किस का 

कहा था तो तुम क्या समझे थे !

ओ माई गॉड !

पत्नी हाथ मे भुट्टा लेकर 

शरारती अंदाज़ में मुस्कुरा दी। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy