हक़ीक़त में यही सच्चाई है!!!
हक़ीक़त में यही सच्चाई है!!!
बड़े लोगों से क्या मुलाकातें करना...!
उनकी हैं बड़ी-बड़ी बातें,
बड़े-बड़े सपने...
बड़ी-बड़ी गाड़ियों में दूर-दराज के
इलाकों में आनंदित होकर
सपरिवार बेफिक्र वक्त बिताने में अभ्यस्त,
धन-दौलत-ऐशो आराम से दिन बितानेवाले
उन तथाकथित समर्थ-शक्तिशाली-सफल
(आम लोगों से कोसों दूर
अपने ख्वाबगाह में बसनेवाले)
लोगों की बात क्या करें...!!!
उनकी 'कलम' की ताक़त बेशक़
तलवार की धार से भी बढ़कर है...!
वे लोग अपनी मनमर्ज़ी से
किसी की भी नैया 'डुबोकर'
आपनी 'क्षणभंगुर' कामयाबी का
डंका पिटने में महारत हासिल कर चुके हैं।
किसी भी 'आम' इंसान का 'नसीब'
लिखनेवाले
'आदतन' बेदर्दी की हदें पार करनेवाले
उन 'बड़े' लोगों की बातें करें भी तो,
क्या करें...!!!
कड़वी है, मगर सौ प्रतिशत सच्ची है --
जिसके पास जितनी दौलत है,
बैंक खातों में जितनी 'बड़ी' रकम है,
वही इस कलयुग का 'बेताज' बादशाह है!
और जिसकी जेब 'खाली' है,
उसी का 'नसीब' खोटा है --
यहाँ मुफलिस तो 'ठनठन गोपाल' है,मगर
हरेक रईस के पास बेहिसाब माल है...
यही तो उलटफेर है!
यही वक्त की हेराफेरी है!
यही गज़ब दुनिया है...
कहीं ऊंची-ऊंची इमारतें हैं,
तो कहीं फुटपाथ पे रोती-बिलखती बेपनाह ज़िन्दगी...
ज़रा गौर करने वाली बात है...!!!
