चला-चला रे डराईवर...
चला-चला रे डराईवर...
भीड़ चढ़ी है रेल पे और ये आंख न खोलें,
नेता हमारे ऐसे हैं कि चादर तान सो लें।
कोई गिरे तो चीख की आवाज को सुन के,
इन नागराजों का तो दिल झूम के डोले।
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चला-चला रे डराईवर गाड़ी हौले-हौले,
इंजन का बोझ ना रे ये तो वोटों को तोलें।
नेता हमारे ऐसे हैं इस ट्रेन से भारी
लोगों से ज़्यादा इन्हें कुर्सी है प्यारी।
बढ़ा-चढ़ा के जनता को खुदकी बातें ये बोलें।
इंजन का बोझ ना रे ये तो वोटों को तोलें।
चला-चला रे डराईवर...
जनता चढ़ कर ट्रैन पे इठलाती है जाती,
खुशी-खुशी वो मुफत के कॉकरोच भी खाती।
हर तरफ लोग लटके हैं कोई खिड़की न खोले।
इंजन का बोझ ना रे ये तो वोटों को तोलें।
चला-चला रे डराईवर....L