कुछ वक्त की भीख
कुछ वक्त की भीख
जब पहली दफा मिली थी उससे
तो समझी थी वह किसी और का है
प्यार होना था तो हो गया
हां उसी से जो किसी गैर का है।
फिर सोचा उसे इतना प्यार दूंगी कि
वह मेरा और सिर्फ मेरा हो जाएगा
भले वह साथ उसके होगा पर
ख्वाब तो मेरा ही सजाएगा।
उसे भी मोहब्बत हो गई मुझसे
कभी कभार वक्त निकाल लेता है
बड़ी दुनियादारी हैं उसकी तभी तो
अक्सर लोगों की भीड़ में रहता है।
कहता है कुछ काम आ गया है
तो जाना भी बहुत जरूरी है
वह उलटे पांव चले जाता है
ना रोक पाना मेरी मजबूरी है।
ऐसे करते-करते अब उसके पास
मेरे लिए वक्त बिल्कुल बचा नहीं है
दोस्त रिश्तेदार सब के साथ रहता है
मेरे साथ होकर भी साथ रहता नहीं है ।
अब मंजर ऐसा है कि
मैं घंटों इंतजार करती हूं
वो कुछ मिनटों के लिए आता है
मैं तो कई दिनों तक इंतजार करती हूं
और वो कुछ वक्त की भीख दे जाता है।