कुछ मरता है
कुछ मरता है
मेरे अन्दर कुछ मरता है,
रोने का मन भी करता है।
पागल हूँ तो मुझको समझे,
आखिर मुझसे क्यों डरता है।।
कैसी है ये यार मुहब्बत,
रोज हमारा दिल जलता है।।
समझौते की सारी दुनिया,
क्या इससे रिश्ता चलता है।।
मुझको धोखा देने वाले,
सारा जग मुझ पे हँसता है।।