ग़म
ग़म
जाने कैसे कहाँ से आते हैं
ग़म मुझे जो बहुत सताते हैं
क्या मुझे मौत आने वाली है
क्या फरिश्ते मुझे बुलाते हैं
मेरे अपने तो हो नहीं सकते
कौन है जो मुझे रुलाते हैं
दिन को आराम है न रातों को
चाँद तारे बड़ा सताते हैं
बावला हो गया हूँ क्या सच में
लोग मुझको यही बताते हैं