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sarika k Aiwale

Romance Tragedy Inspirational

4  

sarika k Aiwale

Romance Tragedy Inspirational

कुछ जीना बाकी है..

कुछ जीना बाकी है..

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कितने अजीब है न रिश्ते भी

कितने अजीब है यह दोस्त भी

रिश्ते बचाऊँ तो दोस्त गिला करे

दोस्ती में जीयूं तो रिश्ते खफा

लफ्ज खामोश ही रह जाती है

यूँ अपने ही जब तोहमतें है लगाते

दिल दर्द से है घायल आज जब

दुनिया भी हमें ही कोस रही है

अच्छा वही थे की हम अकेले थे

किसी के हो के भी अधूरे से ,

और जिन्दा हो के भी बेजान से

न सही गलत के लिये झगड़ते ..

बड़े प्यार से जब जिंदगी है पुकारती

लगता है के मौत गले लगाकर है हँसती


इस खेल में तो हम भी है माहिर जनाब

के बचपन से ही है कुछ इससे हो रहे

बेनकाब से

शामिल हुए है यूं ही नहीं हम जमाने में

उसूलों के जरा पक्के है हम भी जनाब

यूं ही किसी पे जान नहीं छिड़कते है

बन जाये किसी के तो साथ नहीं छोड़ते है

न समझ हमें गलती से भी नासमझ

पल पल की बात पे होता है गौर जरूर

शायद ही होगा तुझे भी जरा सा गुरूर

हो ले जिंदगी तू यूं ही मगरूर जरूर

नहीं है रगो में हमारे जी हुजूरी की आदत


ना करेंगे हालात से मजबूरी में साथ

ना करेंगे उम्मीद की किसी से ख्वाहिश

अपने हिसाब से जीये है हमेशा ही जीयेंगे

ना हो अगर जीना तो बेशक मौत को गले लगायेंगे

पर अभी कुछ मुकाम बाकी है

अभी मेरे ख्वाब आधे से है

सोचूँ उसे ही क्यों न खो दूँ में

जो हस्ती को मेरे मिटाने चले है ..



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