STORYMIRROR

Salil Saroj

Fantasy

2  

Salil Saroj

Fantasy

कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी

कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी

1 min
370


कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी दिखाएँगे

किसी की ज़ुल्फ़ों में लहलहाते खेत हरी-भरी दिखाएँगे


छोड़ो उस आसमाँ के चाँद को,मगरूर बहुत है

रातों को अपनी गली में हम चाँद बड़ी-बड़ी दिखाएँगे


किस्सों में जो अब तक तुम सुनते आए सदियों से

मेरा मुँह चूमता हुआ तुम्हें वही पुरनम परी दिखाएँगे


हम यूँ कर देंगे कि भूले नहीं भूलोगे ये शमा

हुश्न के महल में काबिज़ आफताब संगमरमरी दिखाएँगे


जहाँ भी चले जाओ,इतना ही हुश्न बरपा है हर ज

जिसे जन्नत कहते हैं, वो हिन्दुस्तान हर घड़ी दिखाएँगे


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy