STORYMIRROR

Gyan Priya

Drama Tragedy

5.0  

Gyan Priya

Drama Tragedy

कुछ दर्द इस तरह के

कुछ दर्द इस तरह के

2 mins
262


अँखियाँ बरस जाती हैं

तुम्हारा इंतजार करते-करते

पर जब तुम लौटकर घर आते हो

तुम्हें देखकर भी

अँखियाँ खुशी से बरस ही जाती है,


लेकिन तुम्हारा आकर भी

बड़ी ही रुसवाई से

यूँ अंदर चले जाना

और मुझे देखकर भी

अनदेखा कर जाना,


सच पूछो तो

मुझे अंदर तक तोड़ देता है,

और एक बार फिर

अँखियाँ तरस जाती हैं

तुम्हारा इंतजार करते-करते।


मैं आती हूँ तुम्हारे पास

अपने प्यार का मलहम लेकर

क्योंकि अपने प्यार के मलहम से

तुम्हारे घाव को भरना चाहती थी

तुम्हारे दर्द को बाँटना चाहती थी,


लेकिन तुम एक बार फिर

बड़ी ही बेदर्दी से

मेरे प्यार के मलहम को

उठाकर फेंक देते हो,


और एक बार फिर

मेरी अखियाँ मेरे प्यार का

मलहम उठाते ही

बरस जाती है।


ये कुछ दर्द ही हैं

जो मेरे अपने हैं

हर वक्त, हर पल, हर क्षण,

बस मेरे साथ रहते हैं,


लेकिन खुशियों का आलम ही

इस प्रकार है

कल को ये मेरे पास हैं

और दूसरे ही पल

और दूसरे ही पल नहीं...


फिर भी इनके आने के बाद भी

अखियाँ बरस ही जाती हैं

इन खुशियों का इंतजार करते-करते

तुम्हारा इंतजार करते-करते।


मगर एक बार फिर

तुमने मेरे अरमानों को कुचल दिया

अपने पैरों तले रौंद दिया

मुझे मेरी सही जगह दिखाकर।


फिर से तुमने मेरे आत्म-सम्मान को

अपने अंह के आगे नकार दिया

और एक बार फिर से

मैनें अपने अरमानों और

आत्म-सम्मान के खातिर,


इन अँखियों के पानी से

समझौता कर लिया

क्योंकि अब ये अँखियाँ थक चुकी हैं

तुम्हारा इंतजार करते-करते।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama