बहना मुझको दूसरे घर नहीं जाना है हूँ फिर भी मैं पराई यह झुठलाना है। बहना मुझको दूसरे घर नहीं जाना है हूँ फिर भी मैं पराई यह झुठलाना है।
कली कली है आतुर पंख खोलने को अपना कली कली है आतुर पंख खोलने को अपना
अब ये अखियाँ थक चुकी हैं तुम्हारा इंतजार करते-करते। अब ये अखियाँ थक चुकी हैं तुम्हारा इंतजार करते-करते।
मदीरा सी छलकाए तेरी अँखियाँ उस पर बातें तेरी ये रस भरी मदीरा सी छलकाए तेरी अँखियाँ उस पर बातें तेरी ये रस भरी