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Vijaykant Verma

Romance

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Vijaykant Verma

Romance

प्रेम मिलन का सपना

प्रेम मिलन का सपना

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बादल भी गरज गरज कर

पुकार रहे हैं तुम को

तुम बाहर निकलो

फिर झूम झूम हम बरसे

अपने प्रियतम के

इंतजार में ये अँखियाँ

क्यों एक पल भी अब तरसे

कली कली है आतुर

पंख खोलने को अपना

भंवर, आज तू पूरा कर ले

वर्षो से जो संजोया तूने

दिल में अपने

प्रेम-मिलन का सपना..!


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