प्यार का कारोबार
प्यार का कारोबार
वो लब्ज़ जिसे कहते हैं प्यार
वो है आजकल कारोबार
मुनाफा सौदा खूब हुआ
अब प्यार कहाँ किसी को हुआ
खूबसूरत जिस्म का बदसूरत व्यापार हुआ
इस बदसूरती का हर कोई ठेकेदार हुआ
वो लब्ज़ जिसे कहते हैं प्यार
वो है आजकल कारोबार।
उससे बेहतर का जो दीदार हुआ
पहले वाला दरकिनार हुआ
वो लब्ज़ जिसे कहते हैं प्यार
वो है आजकल कारोबार।
गारंटी वारंटी का तो दौर गया
लो दूसरा आया तो पहला गया
वो लब्ज़ जिसे कहते हैं प्यार
वो है आजकल कारोबार।
शर्म हया की चादर में रहना अब दुश्वार हुआ
दिन कटा और आयी रात
रात में सब जलके ख़ाक हुआ
वो लब्ज़ जिसे कहते हैं प्यार
वो है आजकल कारोबार।
