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कटीले नैना

कटीले नैना

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सह सकता हूँ घाव करे जो कोई कटार,

नहीं सह सकता उनकी कटीली नैनों का वार।


दो नैना जिसमें मद मस्त नशा छलकता है,

नजरें मिले तो कातिलाना अंदाज झलकता है।


बड़े-बड़े जादूगर देखे पर ना देखा जादू ऐसा,

डूबे गर दो नैनों में कर दे दिवाना पागल जैसा।


नैनों की गहराई में डूब जाने को जी करता है,

मौका मिले तो ना जाने क्यों ये डरते रहता है।


कयामत क्या होती हैं उनकी नैनों में मैंने देखा,

घायल हुआ पर ना कर पाया उनको अनदेखा।


वो तो शरीफ हैं बड़ी पर दो नैना शरारत करते हैं,

बचकर जाओगे कहाँ अक्सर मुझसे कहते रहते हैं।


याद में उनकी ना बीते मेरे दिन और रैना है,

कटार से भी ज्यादा घाव करे उनके नैना है।


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