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ca. Ratan Kumar Agarwala

Tragedy Inspirational

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ca. Ratan Kumar Agarwala

Tragedy Inspirational

कटी पतंग और वह मासूम बेज़ुबान

कटी पतंग और वह मासूम बेज़ुबान

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बिजली के तार से लटकी हुई,

वो एक कटी हुई पतंग ;

हो रही थी मांझा लगे धागे के

संग बहुत बदरंग ।

 

उस मांझा लगे धागे में,

उड़ते उड़ते उलझा एक कपोत ।

देख उसे एक टीस सी उठी दिल में,

कष्ट उसने पाया होगा अकूत ।

 

आंखो से निकले हुए उसके आंसू,

बयान कर रहे थे उसकी वेदना ।

ना जाने किस नौसिखिए निर्दयी ने,

जाने अनजाने दी होगी यातना ।

 

अपनी मौज मस्तियों में क्यूं,

जाने हम भुल जाते है हरदम ।

इन मासूम निरीह जानो को भी,

प्रकृति ने दिए है जीवन के रंग ।

 

प्रकृति सिर्फ इन्सानों से तो नहीं,

पशु, पंछी सभी इसी के अंग ।

किसने हक हमें है यह दिया कि,

हम छिनले इनसे प्रकृति का संग ।

 

देख रहा था मैं एकटक उसे,

अहसास करता हुआ उसकी पीर ।

इतनी पीड़ा हो रही थी दिल में,

मानो दिया हो किसीने सीना चीर ।

 

किसी हैवान की इस करतूत पर,

अगर सको तो दिल से सोचना जरा ।

अगर न रहेगें पशु पंछी इस जमीं पर,

 तो निष्प्राण हो जायेगा जहां सारा ।

 

आओ सब मिलकर प्रण ले आज,

ना सताएंगे किसी प्राणी मासूम को ।

प्राणहीन होने से बचाएं सदा,

हमारी इस चहकती वसुंधरा को ।


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