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राही अंजाना

Drama

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राही अंजाना

Drama

कठपुतली

कठपुतली

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दिल ने धड़कन की ही मान लो के अब सुनना छोड़ दी, 

स्त्री को नचाया जबसे इंसा ने कठपुतली बुनना छोड़ दी,


देखती ही रहीं आँखों की दोनों पुतलियाँ एक दूजे को,

उँगलियों के इशारों पर हाथों ने सुतली चुनना छोड़ दी।


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