क्षणिकाएँ
क्षणिकाएँ
सादगी (१)
उसकी सादगी
उसकी मासूमियत
देखने में गुजारी हर शाम
बस इंतज़ार केवल इस बात का
शायद वह मुस्कुरा कर देख ले एक बार...
सोचो!! (२)
क्यों सोच रहे हो मेरी खूबसूरती पर लिखने के लिए
अब छोड़ा ही क्या है मुझमें खूबसूरत कहलाने के लिए?
मैं प्रकृति, मैने सर्वस्व दिया तुम्हे सँवारने के लिए
तुमने मेरा सब कुछ छीना अपने स्वार्थ के लिए...
स्वच्छता (३)
कितने भी स्वच्छता अभियान चला लो
सड़कों व स्कूलों में कितनी ही रैली निकालो
सफाई अभियान तब तक रहेगा अधूरा
जब तक मन न होगा जागरूक पूरा...
