कोरोना, तुमने सबको जगा डाला।
कोरोना, तुमने सबको जगा डाला।
इंसान हो गया था बहुत घमंडी,
उसके आगे नहीं थी किसी की चलती,
वो हर विधा में हो गया था निपुण,
सबको मानता था अपने आगे तुच्छ।
उसने हर ताकत को अपने वश में था कर रखा,
इसीलिए उसके आगे कोई हिम्मत नहीं था करता,
धीरे-धीरे वो सर्वशक्तिमान को भी लगा था हिलाने,
अब वो ही रह गया था लगाने ठिकाने।
लेकिन कुदरत का भी अपना नियम,
अपने ही ढंग,
अपना ही चाल चरित्र,
उसने इंसान को इंसान के द्वारा ही सबक सिखाया,
उसका सब रह गया किया कराया।
एक ऐसा वायरस आया,
जिसके आगे इंस
ान चुहा बना,
उसने आक्रमण करने की बजाय,
बचना उचित समझा,
जैसे तैसे अपना पला झाड़ना उचित समझा।
उसको ये समझ न आए,
इससे कैसे निपटा जाए,
हैरानी की बात ये,
सारा ब्रह्माण्ड एक तरफ,
ये अदृश्य वायरस दुसरी तरफ,
फिर भी कुछ हो न पाया,
सारे ब्रम्हांड को खूब रूलाया।
किंतु एक सबक तुने हम इंसानों को सिखाया,
मिल बैठ के जीना सीखो,
आपस में मत लड़ो,
चाहे कमजोर,
चाहे ताकतवर।
अगर इंसान ही इंसान का बनेगा दुश्मन,
तो फिर पृथ्वी से जाएगा उसका वर्चस्व।