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Sunil Agrahari

Tragedy

3.6  

Sunil Agrahari

Tragedy

कोरोना महामारी - बेबस इंसान

कोरोना महामारी - बेबस इंसान

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87


साँय साँय सन्नाटा मातम चारो ओर है,

खबरों में हर तरफ छाया मौत शोर है ।

मनहूसियत सुबह लिये जाने कैसा भोर है,

हाथों में मौत लिए सांसों की डोर है।

मौत धुन कोरोना नाचे दुनियाँ झकझोर है,

सहमा संगीत थमा डरा हुआ मोर है।

मौत की बारिश से दुनियाँ सराबोर है,

कब कौन भीग जाए बरखा घनघोर है।

कैद अपने घर में बंदा जैसे कोई चोर है,

हर पल हज़ार मौत किसी का न ज़ोर है ।

तरक्की लाचार आज गुम मौत का छोर है ,

छूने वाला चाँद आज बन्दा बेबस कमज़ोर है ।



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