कोन थी वो?
कोन थी वो?
दिल चैन सब छीन गया
अब तो नैयना मिलाकर
पाँव ज़मीन पर न रूकें
तुमसे दिलको लगाकर.
दीन ईमान का क्या सौदा किया
छोड़ दिया हमने तेरे संसार को
ख़फ़ा क्यो हो, सोचो तो ज़रा
क्या जीकर करें, लुटे तेरे प्यार मे.
ना दिल का हे चैन क्यो रूसवा हुए?
जब से देखा उन्हें नैयन मिलाकर;
होली मे थी कोन वो रंगो मे घिरी
छाई रही यों मन मे वो नजंरें चुराती
कुछ बहका अनदाज, मुस्कुराते होट
चंचल सी बलखाती अदाए उसकी
बहकती अंदाओ से हमे देखती रही, वो
नशा भंग कर गई, होली की ख़ुमारी मे।