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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

“बोझिल मन ”

“बोझिल मन ”

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करूँ क्या मैं बताओ तुम

         कोई कविता नहीं बनती

किसी को देखता हूँ तो

         नज़र मेरी नहीं टिकती


कभी मैं फिल्म को देखूँ

         सभी नीरस मुझे लगते

सुनूँ जब गीत लोगों के

         सभी बेढ़ब मुझे लगते


अज़ब है हाल यह मेरा

         नहीं संगीत सुनता हूँ

सभी के धुन ही फीके हैं

         घुटन महसूस करता हूँ


कहाँ है ज्ञान लोगों में

        सभी आपस में लड़ते हैं

करे संहार मानव का

        करोड़ों  भूखे मरते हैं


सभी हैं लिप्त युद्धयों में

         कई हथियार देते हैं

नहीं है दूत शांति का

         सभी व्यापार करते हैं


मचा विध्वंस का नाटक

         बच्चे यहाँ रोज मरते हैं

नहीं चिंता है लोगों को

        पीड़ित सब कैसे जीते हैं


सहते दंश मौसम का

        ना कार्बन रोक पाते हैं

भला है किसको यह चिंता

        उत्सर्जन जम के करते हैं


पर्वत ,पेड़ , झरने को

        जब हम नष्ट करते हैं

हमें अभिशाप यह देते

        और हमको कष्ट देते हैं


करूँ क्या मैं बताओ तुम

         कोई कविता नहीं बनती

किसी को देखता हूँ तो

          नज़र मेरी नहीं टिकती !!



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