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Vandana Singh

Tragedy

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Vandana Singh

Tragedy

कलयुग

कलयुग

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बाल पकड़ कर घसीट लाया

भरी सभा में वस्त्र खुलवाया

वो दुशासन नहीं है कोई

वो तो कलयुग का राम है

सब मिलकर नोचते रहे

रक्त की होली खेलते रहे

नग्नता की तस्वीरे खींच

वीडियो बनाना आम है

वो तो कलयुग का राम है

स्त्री की लुटती इज्ज़त

अब ना कोई कृष्ण बचाता है

हाथ में नई तकनीकी लिय

वो बस गोपियाँ रिझाता है

लंका में बैठी सीता

किस हनुमान की आस धरे

कौन न्याय दिलाय

न्याय ही रावण का नाम है

वो तो कलयुग का राम है

कब तक जुल्म सहे नारी

बस हाथ पर हाथ धरे

अपने स्वाभिमान,सम्मान के लिय

आओ अभी से महायुद्ध करे

छोड़ दे आस किसी की

और ना किसी की पुकार करे

स्व की रक्षा करना

स्वयं नारी का काम है

वो तो कलयुग का राम है

नारी है अबला

इसलिय तो सहे सितम

तोड़ दे जो हाथ उठे

ध्वस्त करे इनका भ्रम

नारी जो स्वयं पर आती है

हर तरफ प्रलय मचाती है

जगजननी-जगविनाशिनी

दोनो इसी के नाम है

वो तो कलयुग का राम है।


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