STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

कल रात

कल रात

1 min
319

बादलों के पार एक जहाँ है

सियासत ए चाँद का

कल रात नींद की

परवाज़ लिए पहुँची मैं उस जहाँ..!


रात के आँचल में सो कर चाँद से

मैंने कितनी कहानियां सुनी कल

तेरे मेरे इश्क की..!


खिड़की से झाँकता था बदमाश चाँद

रोज़ देखता था तुम्हारी अठखेलियां..!


मेरे सीने पर सर रखकर तुम्हारा गुनगुनाना 

मेरी पलकों पर लबों से तुम्हारा गीत लिखना..!

उस पर भी कयामत 

मेरी नाभि के इर्द-गिर्द तेरा ऊँगली घुमाना ..!


बेशर्म चाँद ने कुछ यूँ दोहराया हया की

मदहोशी ने मुझे यूँ झुकाया..!


उफ्फ़ तौबा क्रिङा हर रात की

जानलेवा अजाब सी निगोड़े चाँद ने

कल रात मुझे सोने ना दिया।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance