किताब
किताब
कभी रात की हल्की खिलती रोशनी
कभी सुबह का स्पष्ट जोशीला प्रकाश
कभी स्थिरता शांति ठहराव
कभी गति उमंग शुरुआत
सब ही
समय के झोंके से
पन्नों की तरह पलटते रहते हैं
पन्ना बदला, दिन बदला
इन पन्नों पर
कभी कुछ आकृति बना
कभी लिखित पन्ने फाड़
एरोप्लेन बना उड़ा
नाव बना तेरा
कभी कुछ यादों की पंखुड़ियां बीच में सहेज
यह पन्ने पलटते गये
पलटते गए पन्ने
बनती गई किताब
जीवन की अमर किताब