किताबें
किताबें
पुरानी किताबें नए राज हैं बतलाती,
युगों-युगों बीते हुए कल की,
वर्तमान से भूत और भविष्य की,
नित नए रहस्यों को पल भर में समझाती।
इसी से बनते कुछ नाजुक रिश्ते,
अच्छे बुरे के सारे भेद हैं खुलते,
सुख-दुःख में कभी साथ नहीं छोड़ती,
भूले-भटके को नई राह में मोड़ती।
किता
बों को कभी अपने से दूर न करना,
समझ सको तो इन्हें अपना मीत समझना,
अज्ञान अंधकार को सदा दूर हैं करती,
पल भर में सबके संकट है हरतीं।
जिसने भी इनको सदा हृदय से लगाया,
आत्मसंतुष्टि,आत्मानुभूति उसने है पाया,
अंतर्मन की आवाज से बनती किताबें,
सरस्वती माँ की वरदान हैं ये पाक किताबें।