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Jyoti Naresh Bhavnani

Abstract

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Jyoti Naresh Bhavnani

Abstract

ख़्वाब टूट जाया करते हैं

ख़्वाब टूट जाया करते हैं

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#prompt 

#टीम E

#विषय: ख्वाब 

#दिनांक: 27.11.2022

#नॉन स्टॉप नवंबर T 30 कप संस्करण

शीर्षक: ख़्वाब टूट जाया करते हैं


ख़्वाब अक्सर टूट जाया करते हैं,

अपने अक्सर छूट जाया करते हैं।

रहते हैं सदा जो इन आंखों में,

वो आंसू बनकर बह जाया करते हैं।


दिलों के जो बहुत ही करीब होते हैं,

वही दिलों से दूर हो जाया करते हैं।

दिलों के जो होते हैं कभी करार,

वही बेकरार कर के जाया करते हैं।


दिन रात जो ख़्वाबों में रहते हैं,

वही याद बनकर रह जाया करते हैं।

कभी द

िलों पे करते हैं जो राज,

वही दिलों से उतर जाया करते हैं।


कभी जो बेइंतिहा खुशियां देते हैं,

वही उम्र भर के ग़म दे जाया करते हैं।

कभी करते हैं दिलों को जो आबाद,

वही बर्बाद कर के जाया करते हैं।


कभी जो दुआओं में शामिल होते हैं,

वही फरियाद बन के रह जाया करते हैं।

कभी रहते हैं जो हरपल हरदम साथ,

वही ज़िंदगी भर के लिए बिछड़ जाया करते हैं।


ख़्वाब तो आखिर ख़्वाब ही होते हैं,

वो कभी भी हक़ीक़त नहीं बन पाते हैं।

इस बात के कितने ही हैं गवाह,

कि ख़्वाब हमेशा अधूरे ही रह जाते हैं।


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