STORYMIRROR

ritesh deo

Abstract

4  

ritesh deo

Abstract

ख्वाब

ख्वाब

1 min
412


रात के पहले पहर इक ख्वाब देखा

मैंने ख्वाब में भी एक ख्वाब देखा।


ख्वाहिश थी ख्वाब में ख्वाब पूरा होने की

देखता रहा ख्वाब जो मीत का ख्वाब देखा।


ख्वाबों की दुनिया कितनी अजीब है दोस्तों

ख्वाबों में भी ख्वाब सा इक यार देखा।


देख सकते हो जब तलक देख लो ख्वाब

मैंने भी ख्वाबों में ख्वाब सा यार देखा।


हकीकत पे उतरेगी जब मोटर जिंदगी की

पछताओगे तब गर ख्वाब सा कोई ख्वाब न देखा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract