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श्रेया जोशी 'कल्याणी'

Abstract

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श्रेया जोशी 'कल्याणी'

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विवाह: नए संबंधों का जनक

विवाह: नए संबंधों का जनक

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हर परिवार का निजी पर्व होता है विवाह,

दो परिवारों के मिलन और मनुहारों का आधार होता है विवाह,

हर्ष और कष्ट के भावों का संगम होता है विवाह,

कई नए संबंधों का जनक होता है विवाह.


वधू पक्ष एक पर से अधिकार खोकर,

कई नए संबंध पाता है,

इसी कारण मेरी दृष्टि में,

 उनका स्थान ऊंचा है,

जबकि समाज में,

वर पक्ष को श्रेष्ठ माना जाता है।


शायद इसी कारण ससुराल में,

आजीवन वधु को नीचा दिखाया जाता है,

क्योंकि बिना अधिकार खोए,

उस पर अधिकार पाया जाता है,


फोकट में मिल जाए,

उसका मोल किसको समझ में आता है ?

जमाई जो ससुराल जाए,

उसको पलकों पर बिठाया जाता है,

क्योंकि हृदयांश देकर,

उसका मोल चुकाया जाता है।


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