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Dr. Chanchal Chauhan

Abstract

4.5  

Dr. Chanchal Chauhan

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मानव रूपी दानव

मानव रूपी दानव

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औरत के ऊपर हिंसा कर

 बेखौफ आजाद घूमते है 

 वह मानव रूपी दानव है

जो औरत को चीज़ समझते हैं


क्या बात करें उनकी जो

औरत के शरीर को बेचते है

औरत के जिस्मों पर आघात कर

अपना अधिकार समझते हैं


किन लफ्जों में बयाँ करुं

 शरीर के इन जख्मों को 

यह जख्म ही तो सब कुछ बयाँ करते हैं


यह मानव रूपी दानव को

अब बस बहुत हुआ 

अधिक नहीं सह सकते 

यूं हाथ पर हाथ धरकर

 बैठे नहीं रह सकते 


आवश्यकता पर संहारक 

तलवार उठानी ही होगी 

हर नारी में दबी हुई, 

दुर्गा को जगानी होगी।।


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