तेरी निग़ाह
तेरी निग़ाह
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शिकायत थी तुमसे बहुत
गिले शिकवे थे तुमसे बहुत
सोचा था तुम मिलोगे तो
बहुत लडूंगी नाराज हो जाऊंगी
अगर मनाओगे तो भी ना मानूंगी
पर तेरी एक निगाह ने
यह सब मेरा सैलाब में बहा दिया
मैं मंत्रमुग्ध होकर तेरी निगाह में बह गई।