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Dinesh Dubey

Abstract

4.5  

Dinesh Dubey

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नेक इंसान

नेक इंसान

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लेते हर वक्त भगवान का नाम,

करते हैं हर पल सभी बुरे काम,

और बनते हैं,लोगो के सामने,

बहुत ही अच्छा नेक इंसान।


वह सबको बनाते अपना खास,

निकले काम तो रोक देते सांस,

बदनीयती के हैं वो बड़े दास,

गले लगाते हैं वह सबके फांस।


उनसे मीठा है ,यहां कोई नही,

लबों पर रहता चासनी का वास,

मौका मिलते ही वो कर देते है,

अपनी का ही कर देते हैं बंटाधार।।


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