किताब का फूल
किताब का फूल
कल इक सूखा हुआ फूल, किताब में मिला
बिछड़ा हुआ महबूब जैसे, ख्वाब में मिला
मुकाबिल था मेरे, सुकून मिला ऐसा
प्यासे को सुकून जैसे, आब में मिला
मैं देखता ही रह गया, उस गुल ए गुलशन को
हुस्न कायनात का उसके, शबाब में मिला
महक जिंदा थी अभी, उस गुलाब की
इश्क़ जिंदा है मेरे अंदर भी, जवाब में मिला
कल इक सूखा हुआ फूल, किताब में मिला
बिछड़ा हुआ महबूब जैसे, ख्वाब में मिला